शिवकुटी घाट की गोद में बसा एक मौन महल
प्रयागराज में आज हम ऐसी जगह के बारें में बात करेंगे, जो छुपी हुई स्थानों में से एक है। प्रयागराज के उत्तर भाग में, गंगा किनारे बसे शिवकुटी क्षेत्र में एक स्थान है जो जितना शांत है, उतना ही ऐतिहासिक भी। जिसे आज हम रामबगिया शिवकूटी प्रयागराज के नाम से जानते हैं।
बाहर से देखने पर यह हमें मात्र एक पुरानी, विशाल इमारत है, लेकिन नेपाल से निर्वासित राणा वंश के अतीत और एक निजी विरासत की कहानी कहती है। गंगा के किनारे खड़ी इसकी दीवारें ना सिर्फ अपने खूबसूरती की कहानी कहती है बल्कि इतिहास के कुछ अनकही बातें भी करती हैं।
राणा पद्म जंग बहादुर – निर्वासन से रामबगिया तक
ये बात है सन् 1885–86 की जब नेपाल के शाही राणा परिवार में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई थी। इस समय राणा पद्म जंग बहादुर को देश से बाहर निष्काषित कर दिया गया। अंग्रेजों से पहचान के कारण उन्हें प्रयागराज में शरण के साथ सम्मानस्वरूप लगभग 150 एकड़ ज़मीन भी प्रदान की। इस कोठी का निर्माण ना केवल रहने के लिए नहीं बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत के स्वरूप में किया गया था।

नारायणी आश्रम – साधना और आत्मशक्ति का केंद्र
राणा साहब की बहन, नारायणी देवी, नें शादी नहीं की। उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ी। उन्होंने नारायणी आश्रम की स्थापना की। नारायणी आश्रम, वर्षों तक साधना और मौन तपस्या का केंद्र रहा। आश्रम में आध्यात्मिक चर्चाएं, वेद-पाठ और ध्यान जैसे कार्यक्रम होते थे। नारायणी देवी की शिष्या बनीं विक्रमशील, जो राणा की विधवा थीं। जिससे प्रतीत होता है यह कोठी सिर्फ एक महल नहीं बल्कि एक ध्यानस्थल भी थी।
कोटेश्वर महादेव मंदिर – श्रद्धा का जीवंत स्वरूप
इसी परिसर में कोटेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। जो आज भी स्थानीय लोगों की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। सावन महिनें में, यह मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाता है, जहाँ श्रद्धालु दूर-दूराज से अपनी श्रद्धा के लिए आते है। मंदिर के पीछे बहता गंगा का शांत जल और सामने महल, यह दृश्य किसी पुरानी कथा का हिस्सा लगता है।
वर्तमान में रामबगिया शिवकुटी प्रयागराज की स्थिति – एक निजी विरासत
आज, यह सम्पूर्ण स्थल एक निजी संपत्ति है। मंदिर तक आम लोग पहुँच सकते हैं, लेकिन महल के भीतर जाने की अनुमति नहीं है। यह किसी रहस्य या अफवाह की वजह से नहीं, बल्कि केवल इसलिए क्योंकि यह संपत्ति अब भी निजी स्वामित्व में है। यह संपत्ति अब रामचरण दास टंडन से संबंधित है।
रामबगिया शिवकुटी प्रयागराज कैसे पहुँचें – आपकी यात्रा गाइड
प्रयागराज जंक्शन या सिविल लाइन्स से यहाँ तक का सफर लगभग 10 किलोमीटर है। आप लोकल ऑटो, ई-रिक्शा या बाइक से यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं। नजदीक में ही स्थित है प्रसिद्ध शिवकुटी मंदिर और गंगा घाट, जहाँ से दृश्य और भी खूबसूरत हो जाता है।
रामबगिया की खासियत – क्यों जाएं यहाँ?
रामबगिया शिवकूटी प्रयागराज की सबसे खास बात यह है कि यहाँ इतिहास, आस्था और निजीपन का अद्भुत संगम है। एक ओर नेपाल से निर्वासित एक शक्तिशाली परिवार की यादें हैं तो वहीं दूसरी ओर अध्यात्म आज भी कोटेश्वर महादेव मंदिर में विद्यमान है। और फिर वो शांति से खड़ी इमारत न दिखावा, न प्रचार, बस मौन में समेटे हुए सौ साल की कहानी।
अगर आप प्रयागराज में कोई ऐसा स्थल खोजना चाहते हैं जो टूरिज़्म की भीड़ से परे हो, जहाँ आपको गहराई से जुड़े अनुभव मिलें तो रामबगिया आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त स्थान है। यह एक संवेदनशील स्मृति स्थल है, जो इतिहास और आत्मा दोनों को स्पर्श करता है।
देखिए कैसे 160 साल से अपनी सेवाएं दे रहा आज भी प्रयागराज का पुराना यमुना पुल –

