तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली में चल रहे जंगल के कटाई को सुप्रीम कोर्ट नें रोक लगा दी है। उन्होंने साथ ही रजिस्टार को यह आदेश दिया है की जाकर वहाँ की रिपोर्ट 3:30 pm तक सौंप दें। इसकी सुनवाई फिलहाल 3:45 pm से की जाएगी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है की तब तक कटाई नहीं की जानी चाहिए जब तक की अगली सुनवाई ना हो जाए।
तेलंगाना कांचा गाचीबोवली में पक्ष-विपक्ष के तर्क
जंगल को ना काटने के पक्ष में याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया है की यद्यपि यह भूमि जंगल के दायरे में नहीं आती परंतु दिखती जंगल जैसी है। उन्होंने अपने तर्क में कहा की यहाँ चट्टानें, झीलें ,वन्यजीव एवं वनस्पतियाँ हैं। यहाँ झीलों के जल ग्रहण क्षेत्र के अलावा जीवों के निवास भी है। इसके साथ ही कहा की ये सुप्रीम कोर्ट के पर्यावरण संरक्षण अधिनियम एवं वन्य जीवों के संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है।
वहीं राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने इसे कभी भी वन भूमि क्षेत्र होने से मना किया है। उन्होंने कहा की यह क्षेत्र 2003 में किसी निजी खेल प्रबंधन कंपनी को दे दिया गया था। यह औद्योगिक विकास के लिए प्रयोग की जा रही है इसलिए यह औद्योगिक क्षेत्र है।
हैदरबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी तेलंगाना कांचा गाचीबोवली जंगल कटाव के रोकने के लिए किया प्रदर्शन
वहीं हैदराबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। जो बाद में उग्र हो गया। जिसमें पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। यह हाथापाई उस वक्त हुई जा अर्थरिमुवर जंगले की सफाई कर रहे थे। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा की ये क्षेत्र कानूनी रूप से भले ही यूनिवर्सिटी का नहीं है , परंतु यह नैतिक रूप से यूनिवर्सिटी के अंतर्गत ही आता है। उन्होंने इस 400 एकड़ हिस्से को 2300 एकड़ हैदराबाद यूनिवर्सिटी का ही पार्ट माना है।
साथ ही विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं छात्रों को पर्यावरण को लेकर चिंता सता रही है।
सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार ने तेलंगाना कांचा गाचीबोवली मामलें में मांगी रिपोर्ट –
वहीं सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने तेलंगाना हाई कोर्ट के रजिस्टार को तुरंत भूमिक्षेत्र का दौरा करने का आदेश दिया है। साथ ही आज शाम 3:30 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात की है।
खंडपीठ ने कहा, “ हम तेलंगाना राज्य के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का आदेश देते हैं कि कांचा गचीबोवली वन क्षेत्र में किसी भी पेड़ की कटाई की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक इस न्यायालय द्वारा अगला आदेश जारी नहीं किया जाता है।”
वहीं केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने राज्य के वन मुख्य सचिव से तत्काल रिपोर्ट मांगा है और तुरंत कार्यवाई के लिए कहा है। वहीं मंत्रालय ने भारतीय वन अधिनियम एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की बात कही है।
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