वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 –
आपने वक्फ बोर्ड के बारें में सुन लिया होगा। साथ ही ये भी जानते होंगे की सरकार वक्फ बोर्ड में संशोधन करना चाह रही है। जिस पर काफी मतभेद दिखाई दे रहा है। चाहे वो विपक्षी पार्टियां हों या अधिकांश मुस्लिम संगठन इस संशोधन के विरोध में है। आखिर सरकार को क्यों संशोधन की जरूरत पड़ी। साथ में इसका विरोध दक्षिणी राज्यों तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने इसके खिलाफ बिल लाकर कर रहे हैं। इसके बारे में आज इस लेख में जानकारी देंगे। आज 2 अप्रैल को अल्पसंख्यक मंत्री किरन रिजिजू वक्फ संशोधन अधिनियम को लोकसभा में पेश करेंगे।
वक्फ एवं वक्फ बोर्ड क्या है –
वक्फ की बात की जाय तो यह धर्म के लिए किसी भी चीज का दान से संबंधित है। इसका प्रबंधन वक्फ अधिनियम 1995 के द्वारा किया जाता है। इसके लिए केंद्र और राज्य में वक्फ परिषद होते है, जो इसकी देखरेख करते हैं। वैसे इसके बनाने का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य धर्म एवं अल्पसंख्यकों का कल्याण करना था। परंतु मुस्लिम में ही कई समुदाय को इससे वंचित रखा गया। जैसे बोहरा, आगाखनी, पसमांदा समुदाय के अलावा महिलाओं के भी अलग रखा गया है।
बात किया जाय इसकी संपती की तो यह 8.72 लाख वक्फ संपतियाँ है। जो 32.39 लाख एकड़ में फैली हुई हैं। हालांकि दस्तावेजों की बात किया जाय तो पूरी संपतियों के दस्तावेज नहीं है बोर्ड के पास। वक्फ बोर्ड अधिनियम की धारा 40 के अनुसार यह किसी भी संपती को जिसे उचित समझे उसे वक्फ बोर्ड का कह सकती है। और इसको बस न्यायाधिकरण में चुनौती दिया जा सकता है, और उसका ही निर्णय अंतिम होगा। अदालतों के दरवाजा आप नहीं खटखटा सकते है। करीब 60,000 वक्फ संपतियां अतिक्रमण के द्वारा अपने अधीन कर लिया गया है।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 में क्या होगा बदलाव –
वहीं सरकार द्वारा संशोधित वक्फ बोर्ड में इस अधीनयम को खत्म कर दिया जाएगा। साथ ही किसी भी संपती का दस्तावेज होना जरूर है और इसे 6 महीने के अंदर पोर्टल पर जानकारी देनी होगी। यदि किसी भी संपती को लेकर शिकायत होती है तो इसे 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में मामला दायर किया जा सकता है।
वक्फ बोर्ड के अंतर्गत केंद्र और राज्य में दो महिलाएं का होना अनिवार्य है जबकि राज्य और संघशासित प्रदेशों के एक बोहरा और आगाखानी समुदाय के सदस्य भी शामिल होंगे। जबकि दो गैर मुस्लिम सदस्य भी होंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है की मस्जिद और कब्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। इसे वक्फ बोर्ड में बस दर्ज होना चाहिए साथ ही उस संपती को लेकर विवाद नहीं होना चाहिए।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 में पक्ष और विपक्ष के दृष्टिकोण –
इस वक्फ बोर्ड के संशोदान का उद्देश्य पारदर्शिता के साथ लैंगिक समानता स्थापित किया जाएगा। इसके जरिए नए स्कूल, अनाथालय, अस्पताल की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही मुस्लिम विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं एवं अनाथों के लिए वित्तीय रूप मे मदद की जाएगी जिससे वे समाज मे निर्भर होने के साथ सशक्त भी होंगी। इस पर केन्द्रीय मंत्री किरन रिजिजू नें इस पर जवाब देते हुए कहा, “यह संपत्ति प्रबंधन का मुद्दा है, सरकार का धार्मिक भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं है।”
वहीं विरोधी पार्टियां ने सत्ता पार्टी पर आरोप लगते हुए कहा की हम सरकार के असैंवधानिक और विभाजनकारी नीति के लिए तैयार है। सांप्रदायिक रूप से इसको लागू करने की कोशिश की जा रही है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुस्लिमों गोलियां चलाने एवं मस्जिदों को निशाना बनाए जाने की बात कही है। इसके अलावा सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा की बीजेपी पार्टी हर जगह अपना नियंत्रण चाहती है।
देखिए धोनी की आईपीएल से संन्यास से जुड़ी खबर हमारी दूसरी पोस्ट में –