परिचय – 130 ft ऊँचा शिव का मंदिर – आर्किटेक्चर और आत्मा का संगम
प्रयागराज संगम स्नान के लिए जाते समय आपकी नजर एक ऊंची और खूबसूरत वास्तुकला पर पड़ी होगी। हां, और आपने गौर जरूर किया होगा इसकी बनावट भी थोड़ा अलग और आकर्षक लगती है। यह आकर्षक मंदिर दक्षिण और उत्तर भारत के वास्तुकला से निर्मित हैं, जो शंकर विमान मंडपम के नाम से प्रसिद्ध है। शंकर विमान मंडपम प्रयागराज, वैसे तो शंकर जी के लिए प्रसिद्ध है पर चार भागों में कई मूर्तियां स्थापित है। चलिए इस मंदिर के इतिहास और कुछ खास जानकारी से रूबरू होते है।
Shankar Viman Mandapam Prayagraj का इतिहास व कथा –
जैसा की नाम से यह स्पष्ट होता है की ‘शंकर यानि शिव’, ‘विमान शिव का वाहन’ और मंडपम का मतलब हाल से लिया जाता है। ऐसा माना जाता है की यहां पर शिव जी का विमान उतरा था जिसके स्मृति स्वरूप इसका नाम रखा गया है। यहां के बारें में किवंदिति है की शंकर भगवान यहां पर निवास करते थे। जबकि दूसरी मान्यता यह है की राम भगवान के वनवास जाते समय शिव जी अपने वाहन से मिलने आए थे।
इस मंदिर के निर्माण के बारे बात की जाय तो 1986 ई. में शुरू हुआ था जिसका उद्घाटन जयेन्द्र सरस्वती ने किया था। कांची कामकोठी पीठ के शंकराचार्य चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती नें इसके निर्माण का स्वप्ना पिरोया था। जिसको पुरा जयेन्द्र सरस्वती जी ने किया था।

वास्तुकला – चार मंजिलों में बसा भक्ति का आकाश –
यह मंदिर द्रविड़ वस्तुकला में निर्मित है। इसमें कूल 16 खंबों या स्तंभों का प्रयोग किया गया है। वैसे मंदिर की दीवारें जहां उत्तरी भारत के वास्तुकला तो वहीं मंडप इसके दक्षिण वास्तुकला के अद्भुत संगम कों प्रदर्शित करते हैं। 130 फुट ऊंचा यह मंदिर में कई प्रकार की मूर्तियां स्थापित है।
प्रथम तल: आदि शंकराचार्य जी की मूर्तियां हैं। तो वहीं
द्वितीय तल: देवी कामाक्षी व 51 शक्ति पीठ की मूर्तियां है जो देवी कों समर्पित हैं।
तृतीय तल: तिरुपति बालाजी और 108 विष्णु मूर्तियाँ है जो विष्णु पीठ के लिए समर्पित है। जबकि
चतुर्थ तल: सहस्त्रयोग शिवलिंग है जिसके चारों ओर 108 शिवलिंग स्थापित है। हर मंजिल अपने आप में एक आध्यात्मिक सफ़र है।
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शंकर विमान मंडपम मंदिर प्रयागराज के दर्शन अनुभव – समय, शांति, भक्ति
यह मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक उसके बाद शाम 4 बजे से रात के 8 बजे तक खुला रहता है। यह त्रिवेणी संगम से कुछ ही दूरी पर होने के कारण भक्तों के लिए आत्मिक आराम का केंद्र है। जबकि मंदिर के ऊपर से त्रिवेणी संगम और नैनी पुल देखना एक सुखद एहसास प्रदान करता है।
मंदिर में दर्शायी गई अन्य मूर्तियां –
भगवान शिव – जैसा की नाम से ही ज्ञात है की यह मंदिर शिव भगवान से संबंधित है। यहां शिव भगवान को स्वयंभू के रूप में दर्शाया गया है। जहां शिव को बुराई के अंधकार का नाशक के साथ ही ज्ञान का प्रतीक माना गया है।
देवी पार्वती – भगवान शिव की पत्नी की भी मूर्ति स्थापित है।
भगवान गणेश – कला, विज्ञान और बुद्धि के सरंक्षक गणेश भगवान की भी उपस्थिति है।
भगवान कार्तिकेय – देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय की भी प्रतिमा है।
देवी दुर्गा – बुराई पर अच्छाई की जीत होती है इसके रूप में यहां पर देवी दुर्गा को महिषासुर को मारते हुए दर्शाया गया है।
भगवान राम – विष्णु भगवान के प्रमुख अवतारों में से एक श्रीराम को भी दर्शाया गया है।
यद्यपि यह मंदिर प्रमुखतः शिव भगवान को समर्पित है परंतु विष्णु भगवान के 108 विष्णु पीठ और शक्ति कों भी प्रदर्शित किया गया गया है। जिससे यह मंदिर शैव, वैष्णव और शक्तिवाद(देवी या देवता के अनुयायी) का मिश्रण है।
शंकर विमान मंडपम मंदिर प्रयागराज कैसे पहुंचे?
इसकी स्थिति जैसा की बताया गया की त्रिवेणी संगम के पास में बड़े हनुमान मंदिर के पास स्थित है। तो आप अगर रेल्वे बस या हवाई जहाज के द्वारा आ रहे है, तो आप कैब या ऑटो के द्वारा बैरहना आ जाइए उसके बाद वहां से संगम के लिए आपको वाहन मिल जाएंगे। संगम स्नान करने के बाद शंकर विमान मंडपम मंदिर भी घूम लीजिए फिर। वैसे दूरी की बात किया जाय तो प्रयागराज जंक्शन से इसकी दूरी 5 किमी तो वहीं सिविल लाइंस से 3 किमी पड़ेगी। साथ ही बमरौली एयरपोर्ट से 12 किमी के आसपास यह दूरी पड़ती है।
निष्कर्ष –
शंकर विमान मंडपम मंदिर प्रयागराज ना सिर्फ आस्था बल्कि वास्तुकला का भी एक अद्भुत संगम है। जहां किसी मंदिर में जाने पर आपको एक ही मत को समर्पित मंदिर मिलते हैं जबकि यह मंदिर 3 मत कों साथ में सँजोये हुए है। तो अगर आप प्रयागराज आ रहे हैं तो यह मंदिर जरूर घूमिए जो आपको अध्यात्म के साथ सुकून और शांति के साथ वास्तुकला की चमक बिखेरता खड़ा है। जानिए मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज के बारे में भी –