परिचय
प्रयागराज जैसा की आप सब जानते है की इसे ‘तीर्थों का राजा’ कहा जाता है। पहले तो यहां स्थित गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम इसे विश्व विख्यात बनाता है, तो वहीं यहां पर स्थित विभिन्न प्रकार के मंदिर इसकी उपयोगिता को बढ़ाते हैं। आज प्रयागराज में स्थित एक ऐसी ही मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसके दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। जिसका नाम है ‘मनकामेश्वर मंदिर’। मनकामेश्वर के अलावा यहां सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर की शिवलिंग भी स्थित है। आज मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज से संबंधित आस्था, इतिहास और अध्यात्म के कुछ पहलुओं को देखेंगे।
मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज की स्थापना –
इस मंदिर में शिवलिंग स्थापना कों लेकर काफी मान्यताएं है। ऐसा माना जाता है की काम कों भस्म करने के लिए शिव जी स्वयं उपस्थित हुए थे। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार जब भगवान राम वनवास जा रहे थे तो सीता जी के कहने पर शिवलिंग की स्थापना की थी। इसके बाद वो पूजा करने के बाद अपने वनवास के लिए आगे गए थे। यह मंदिर गुप्त काल के शिव मंदिरों में से एक है।
मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज क्यों है प्रसिद्ध –
इस मंदिर का वर्णन पद्म पुराण एवं स्कन्द पुराण में किया गया गया है। यहां ऐसी माना जाता है की यदि त्रिवेणी संगम में स्नान करने के बाद मंदिर के दर्शन ना किया जाए तो यात्रा अधूरी मानी जाती है। वैसे तो यहां वर्ष भर लोग दर्शन करने आते रहते हैं, परंतु सावन के समय लोगों को लाइन में खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। शिवभको के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर स्थान है।

वास्तुकला और परिसर में स्थित अन्य मंदिर एवं मूर्तियां –
मदिर की वास्तुकला की बात की जाय तो नागर शैली में बनी प्रतीत होती है। मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग स्वयंभू माने जाते है। साथ ही मंदिर के अंदर नंदी बैल भी स्थित है। जिसके कान में अपनी मनोकामना कहने पर पूरी हो जाती है। मंदिर में दो छोटी-छोटी मंदिर में है जिसमे एक मंदिर सिद्धेश्वर तथा एक मंदिर दक्षिणमुखी हनुमान जी कों समर्पित है।
आस्था के प्रतीक – ‘कामना वृक्ष’
मंदिर के अंदर एक बरगद का वृक्ष है जिसे कामना वृक्ष भी कहा जाता है। यह वृक्ष श्रद्धालुओं के लिए आशा की डोर है। लोग इसपर लाल रंग के धागे को बांधकर अपनी मनोकामना मांगते है। भविष्य में जब इनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो बरगद वृक्ष पर चादर या घंटी बांधकर धन्यवाद अर्पित किया जाता है। बरगद के चबूतरा सीमेंटेड है जिसपर कई छोटे-छोटे त्रिशूल लगे हुए हैं,
विशेष पर्व और आयोजन
सावन के सोमवार को यहां भारी मात्रा में भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि को विशेष पूजा के साथ रुद्राभिषेक और रातभर भजन-कीर्तन आयोजित किए जाते है। प्रदोष व्रत, श्रावण मास और नववर्ष पर मंदिर का विशेष श्रंगार के साथ भजन-कीर्तन किया जाता है।
मंदिर का स्थान और कैसे पहुंचें?
वैसे रेल्वे, बस या हवाई जहाज से आ रहे है तो वहां से आप बैरहना आ जाइए। इसके बाद मिंटो पार्क एक बगल से नए पूल के नीचे से जाता हुए रास्ते से मनकामेश्वर पहुंच जाएंगे। यह मंदिर आपको प्रयागराज के उत्तरी भाग में यमुना नदी के किनारे स्थित है। अगर आपने सरस्वती घाट के बारे में सुना है तो यह मंदिर इसके थोड़ा पीछे ही है।