सोमवार, जुलाई 14, 2025

निषादराज पार्क, श्रृंगवेरपुर धाम: एक सांस्कृतिक पर्यटन स्थल

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प्रयागराज संगम से लगभग 35 किमी दूरी पर निषादराज पार्क का निर्माण किया गया है। यह पार्क श्रंगवेरपुर में स्थित है। इस पार्क का ना सिर्फ पौराणिक अपितु धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है। इस पार्क को सेवा, मित्रता और सामाजिक समरसता की भावना के लिए बनाया गया है।  

निषादराज पार्क में निषादराज और भगवान राम के गले मिलते हुए 51 फिट की ऊंची प्रतिमा

निषादराज पार्क की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –

ऐसा माना जाता है की जब भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ वन कों जा रहे थे, तो बीच में गंगा पार निषादराज द्वारा ही कराया गया था। उन्होंने साथ ही अपने आतिथ्य भाव से प्रभु कों ओतप्रोत कर दिया था। इस पार्क कों बनाने की यही प्रेरणा है। 

वैसे जब निषादराज नें श्रीराम कों अपने महल में रुकने के लिए कहा था वनवास काल होने के कारण उन्होंने विनम्रता के साथ मना कर दिया था। उसके उपरांत निषादराज नें उन्हे अपने बाग में ठहरने के लिए कहा जिसे आजकल रामचौरा नाम से जाना जाता है। जहां लोग अक्सर उस स्थान कों देखने के लिए जाते रहते हैं। 

निषादराज पार्क में कुटियाँ बनाकर निवास करने का चित्रण

निषादराज पार्क का क्षेत्रफल और लागत –

इस पार्क की लोकप्रियता जब से बना है तब से लगतार बढ़ रही है। और निषादराज पार्क महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनता नजर आया। इसका निर्माण 6 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुआ है। जिसमें कूल लागत की बात किया जाय तो पार्क निर्माण लागत में 37 करोड़ रुपये का खर्च आया है। 

निषादराज पार्क का मुख्य आकर्षण और विशेषता –

यहां मुख्य आकर्षण की बात किया जाय तो पांच प्रतिमाएं बनाई गई है। जिसमें पहली प्रतिमा ऋषि श्रंगी की बनाई गई है। क्योंकि यह उनकी तपस्थली रही है। जिससे इनके नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम श्रंगवेरपुर पड़ा है। ऐसा माना जाता है की जब महाराज दशरथ कों संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी तो इन्होंने यज्ञ कराया था। जिनसे श्रीराम, भारत लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था। 

वन को जाते समय स्थानीय लोगों द्वारा उन्हे जाने से रोकने का मार्मिक चित्रण

साथ ही दूसरी मूर्ति में भगवान राम कों केवट के द्वारा नाव पर बैठे नदी पार करते हुए दिखाया गया है। जबकि तीसरी प्रतिमामें मां सीता, श्रीराम और लक्ष्मण कों कुटियाँ में निवास करते दिखाया गया है। वहीं पर चौथी प्रतिमा में वनवास के समय कुछ लोगों प्रभु के पीछे-पीछे चलते दिखाया गया है। 

वहीं इस पार्क की सबसे मोहक एवं बड़ी प्रतिमा भगवान राम और निषादराज कों गले मिलते हुए स्थापित की गई है। जो की 51 फीट ऊंची है और इसकी लागत 3.8 करोड़ रुपये है। इसके सामने फ़ौव्वारे का भी निर्माण किया गया है। साथ ही कई प्रकार के फूल भी लगाए गए हैं। 

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अन्य प्रमुख सुविधाएँ और आकर्षण –

साथ ही इस पार्क में अभी किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। और यहां पर कैफेटेरिया, बोटिंग, बच्चों के लिए झूले और हरियालीयुक्त बगीचे का इंतजाम किया गया है। यहाँ पर आपकों वाहन पार्क करने के लिए पार्किंग भी सुविधा उपलब्ध है।

निषादराज पार्क में नाव से नदी पार कराने की प्रतिमा

कैसे पहुँचें? (लोकेशन गाइड) –

यदि आपको निषादराज पार्क जाना है तो संगम से आपको फाफामऊ तिराहा की ओर निकलना है। जहां आपको NH-38 मलाका फ्लाइओवर पर करिए। वहां से आगे बढ़ते हुए लखनऊ मार्ग पर आपको 20 किमी दूर एक बोर्ड दिखाई देगा। जहां आपको गेट पर नाव में प्रभु कों पार कराते हुए केवट की एक प्रतिमा दिखाई देगी। उसी रास्ते के अंदर जाने पर आपको यह पार्क मिलेगा। 

निष्कर्ष –

इस प्रकार जहां निषादराज पार्क एक सामाजिक समरसता के साथ मित्रता एवं सेवा भाव की भावना को जीवंत करता दिखाई देता है। यहाँ पर आने पर आपको एक अलग ही आकर्षण प्रतीत होता है। यहाँ आकर आप न सिर्फ रामायण की घटनाओं को मूर्त रूप में देख सकते हैं, बल्कि गंगा की शांति, ग्रामीण संस्कृति और सांस्कृतिक सौंदर्य का अनुभव भी कर सकते हैं। 

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