पशुपालन प्रयागराज और आसपास के जिलों में गांवों की आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन पशुपालकों की चिंता कैसे कम हो सकती है जब सरकारी चारा ही गायब हो जाए? 10,000 से अधिक पशुओं के चारे की चोरी का मामला सामने आया है, जो पंचायतों की खराब व्यवस्था और प्रशासन की अनदेखी को दिखाता है। प्रयागराज चारा घोटाला घटना ने पंचायतों की जवाबदेही पर सवाल खड़े कीए हैं।
प्रयागराज चारा घोटाला मामला
सरकारी रिकॉर्ड में 132 गौशालाओं में लगभग 35,000 पशु पंजीकृत हैं, लेकिन 10,000 से अधिक पशु लंबे समय से मृत घोषित हैं। उधर, पंचायतों को इन मर चुके पशुओं के लिए चारा खरीदने के लिए बड़ा बजट मिलता रहा। सरकारी पैसा मृत जीवों के लिए खर्च होता रहा, जबकि असली पशुओं कों चारा नहीं पहुंचा।
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जब स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू की, तो उन्होंने पाया कि पंचायतों ने चारे के वितरण और स्टॉक को ठीक से नहीं रखा था। गोदाम खाली थे और पंचायत प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी अस्पष्ट थी। अधिकारियों ने मृत पशुओं के लिए बजट में गड़बड़ी की पुष्टि की है और कठोर कार्रवाई की बात की है।
सरांश
यह मामला प्रशासन के प्रभावी हस्तक्षेप और पंचायतों के उत्तरदायित्व की आवश्यकता को दर्शाता है। यदि जल्द ही कारगर उपाय नहीं किए गए, तो इसका गंभीर प्रभाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पशुपालन समुदाय पर पड़ेगा। पारदर्शिता और कड़ी निगरानी ही इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
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