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सोमवार, नवम्बर 10, 2025

प्रयागराज रोपवे परियोजना: 7 साल बाद नए उत्साह से फिर शुरू

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7 वर्षों की देरी के बाद, प्रयागराज रोपवे परियोजना (अब “संगम रोपवे” के नाम से जानी जाती है) लंबी प्रतीक्षा और अड़चनों के बाद आखिरकार रफ्तार पकड़ रही है। श्रद्धालुओं, पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों के लिए इस प्रोजेक्ट का महत्व देश की सबसे अनूठी नदी-पार रोपवे सेवा के तौर पर बेहद खास है। यह परियोजना न केवल शहर की यात्रा को सुविधाजनक बनाएगी, बल्कि पर्यटन को भी एक नई दिशा देगी। अब परेड ग्राउन्ड से त्रिवेणी पुष्प पहुंचना सिर्फ 5 से 7 मिनट लगेगा।

प्रयागराज रोपवे योजना की मुख्य जानकारी 

  • अस्वीकृत बाधाओं सुलझी: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने अधिकांश बाधा दूर कर दीए है। निर्माण का काम राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड(NHLML) को सौंपा गया है। राजस्थान की रावी इंफ्रा बिल्ट कंपनी को कार्यदायी एजेंसी नियुक्त किया गया है।
  • मौजूदा रास्ता और स्टेशन: दो प्रमुख स्टेशन परेड ग्राउंड (लाल सड़क/काली सड़क के बीच, प्रयागराज मेला अथॉरिटी के कार्यालय के पास) और त्रिवेणी पुष्प (अरैल क्षेत्र) में होंगे। पहले प्रस्तावित मार्ग शंकर विमान मंडप से था; लेकिन नए मानचित्र और पहुंच को ध्यान में रखते हुए, मुख स्टेशनों को पारेड ग्राउंड और त्रिवेणी पुष्प के पास रखा गया।
  • तकनीकी जानकारी: यह 2200 मीटर(2.2 किमी) लंबा है, जिसमें 3 स्तंभ और 14 टॉलीज़ हैं। प्रत्येक ट्राली में 8 यात्रियों की जगह होगी और इसमें कुल 112 लोग एक साथ बैठ सकते हैं।
  • लागत और मॉडल: परियोजना को PPP मॉडल पर संचालित किया जाएगा,  जिसमें राजकीय और निजी कंपनियों की भागीदारी होगी। जिसकी लागत लगभग 210-251 करोड़ रुपये होगी। निर्माण में लगभग 60 प्रतिशत खर्च निजी कंपनियों द्वारा उठाया जाएगा, जबकि 40 प्रतिशत सार्वजनिक उपक्रम से उठाया जाएगा।

इसे भी देखें – प्रयागराज में Coldrif syrup पर की गई कार्रवाई। Coldrif में मिला था जहरीला रसायन।

सात वर्षों का इंतजार और बदलाव

2018 में प्रोजेक्ट को मूल रूप से प्रस्तावित किया गया था, ताकि 2019 के कुंभ मेले को तैयार किया जा सके। DPR और सर्वे पहले ही मंजूर हो चुके थे, लेकिन कई अनुमतियों, भूमि अधिग्रहण और रक्षा विभाग की चिंताएं इसे आगे बढ़ने से रोकती रही। भूमि अधिग्रहण, मार्ग स्वीकृति और रक्षा विभाग की NOC को लेकर कुछ जगह जटिलताएं हुईं। 

परियोजना को वर्ष 2025 तक “मृत स्थिति” में रखा गया था, लेकिन नवीनतम अनुमोदनों और सरकारी दबावों से यह पुनर्जीवित हो गई है। सेना की सुरक्षा और स्थानीय आवश्यकताओं को देखते हुए नया रास्ता बनाया गया। भूमि सर्वे और NOC जैसे प्रशासनिक कार्य पूरे हो चुके हैं। रोपवे पूर्व में की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुरूप बनेगा। 

सारांश

प्रयागराज रोपवे ने सात वर्षों की कठिनाई, अपर्याप्त प्रशासनिक सहयोग और निरंतर बदलती तैयारी के बावजूद अब स्पष्ट अनुमोदन पाकर एक नए युग में प्रवेश किया है। यह शहर जल्द ही पर्यटन महत्व और श्रद्धालुओं के लिए नए द्वार खोलेगा। श्रद्धालुओं को संगम, माघ मेले, कुंभ मेले का अद्भुत दृश्य केबल-कार से देख सकेंगे।

प्रयागराज में टेक्नॉलजी पार्क और स्टेडियम के लिए भेजा गया प्रस्ताव। 

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