मंगलवार, अप्रैल 29, 2025

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के बारें में जानने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

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प्रतिवर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समानता एवं योगदान को दिखाता है। यह विश्व में महिलाओं को अपने अधिकार के लिए जागरूक करता है। साथ ही लैंगिक समानता एवं सशक्तिकरण के लिए समाज को प्रेरित करता है। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। बस जरूरत है उन्हें उनके अवसर की एवं समाज के एक सही जरिये की।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत –

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आरंभ श्रमिक आंदोलनों के साथ मानी जाती है। जब 1908 ई. में हजारों महिलाओं ने प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन खराब कामकाजी परिस्थितियों को लेकर था। न्यूयार्क शहर में 1909 ई. में राष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना की गई। और इसे 19 मार्च सन् 1911 ई. में पहली बार अमेरिका एवं यूरोपीय देशों द्वारा मनाया गया। 

जबकि 8 मार्च की तारीख 1917 ई. में रुसी महिलाओं के विरोध प्रदर्शन के बाद IWD द्वारा निर्धारित की गई। इसके बाद 1975 ई. में औपचारिक रूप से इसे मनाने की बात की गई।

“एक्सिलरेट एक्शन ” अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस थीम

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम –

इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम एक्सिलरेट एक्शन एवं उद्देश्य ‘सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार। समानता। सशक्तिकरण।’ है। जिसका तात्पर्य महिलाओं के लिए सामना अवसर एवं अधिकार उपलब्ध हो जिससे उसे अपने भविष्य निर्माण की सहयोग मिले। साथ ही लड़कियों एवं महिलाओं के मार्ग में बाधा डालने वाली चीजों पर तुरन्त कार्रवाई की जाए। 

आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जो नारी शक्ति से अछूता हो। विज्ञान, खेल, कला, राजनीति, या समाज को सँवारने में योगदान हर जगह इनकी उपस्थिति अग्रगणीय है। चाहे बात करें मैरी क्यूरी, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स की या बिछेंद्री पाल जैसे लोगों की जिन्होंने अपने क्षेत्र में लोहा मनवाया है। आज महिलाएं बढ़-चढ़ कर शासन-प्रशासन में भी भाग ले रही हैं। 

आज भारत के सबसे बड़े पद पर महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी हैं। वहीं भारत की वित्तमंत्री भी एक महिला है। पी. टी. उषा, धावक कर्णम मल्लेश्वरी पहली ओलिम्पिक मेडल जीतने वाली महिला, कोनेरु हम्पी शतरंज खिलाड़ी, सानिया मिर्जा जैसे नामों से कौन नहीं परिचित होगा। एक महिला सशक्तिकरण को दिखाता है। अगर समान अवसर और अधिकार के साथ समाज का सहयोग मिल जाए तो बेटियाँ किसी भी मामले में पीछे नहीं रहेंगी।

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