इलाहाबाद के बार एसोसिएशन के सदस्यों ने किया विरोध
14 मार्च को घर में आग लग जाने के कारण न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर में 15 करोड़ का कैश बरामद हुआ था। यशवंत वर्मा जिस दिन आग घर में लगी थी, घर से बाहर थे। जिससे उनके परिवार वालों ने दकमल के साथ पुलिस को भी बुला लिया। पुलिस ने अपनी कार्रवाई के दौरान एक घर में काफी नकदी कैश देखा।
पुलिस वालों ने इसकी जानकारी अपने सीनियर अधिकारिओं को दी। और इसकी सूचना शीर्ष अधिकारियों तक पहुंच गई। जब यह खबर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत कॉलेजियम की बैठक बुलाई। जिससे कॉलेजियम ने निर्णय कीया की इनका स्थानातरण इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया जाय। एक खबर के अनुसार यह पहली कार्रवाई है, यशवंत वर्मा से उनका इस्तीफा की भी मांग की जा सकती है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन ने किया यशवंत वर्मा के स्थानातरण का विरोध –
वहीं इसकी खबर जैसे ही इलाहाबाद बार एसोसिएशन को लगी उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। और उन्होंने पूछा है की क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट कचरादान है। यशवंत वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट में 2021 में नियुक्त किया गया था। अभी तक छुट्टी पर होने से इनका कोई भी बयान इस मामले में नही आया है।
वहीं काँग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने पैसों की जांच करने की बात की है। उन्होंने कहा ये पता लगाया जाना चाहिए की ये पैसे श्री वर्मा को किसने और क्यूं दिए। वही कपिल सिब्बल ने इस बात पर अपना पक्ष रखते हुए कहा की कॉलेजियम को भ्रष्टाचार मामले को के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
इसके अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री जयसिंह ने कहा, “जब यह मामला कॉलेजियम के ध्यान में आया तो मामले के तथ्यों का पूर्ण, स्वतंत्र और स्पष्ट खुलासा करना कॉलेजियम का कर्तव्य था। कॉलेजियम पर यह भी दायित्व है कि वह बरामद की गई राशि का खुलासा करे।”
यह मामला राज्यसभा में पहुँच चुका है जिसको जयराम रमेश ने राज्यसभा में जगदीप धनखड़ से जवाब मांगा। जस्टिस यशवंत वर्मा ने दिल्ली हंसराज कॉलेज से बीकॉम किया था। एवं कानून की पढ़ाई रीवा यूनिवर्सिटी से किया है। उसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट से वकालत की प्रैक्टिस शुरू किया।
देखिए हमारी पोस्ट आईपीएल अपडेट से जुड़ी हुई –

