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सोमवार, नवम्बर 10, 2025

गंगेश्वरनाथ मंदिर सलोरी प्रयागराज – शिवभक्ति, लोककथा और आध्यात्म का संगम

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परिचय 

प्रयागराज की पावन जमीन पर एक ऐसा मंदिर जहां शिव की कृपा और गंगा की धारा मिलती हैं। यह गंगेश्वरनाथ मंदिर प्रयागराज में है। यह मंदिर धार्मिक के अलावा स्थानीय लोककथाओं और सांस्कृतिक विरासत से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।

मंदिर कहाँ है एवं कैसे वहां के लिए साधन  

उत्तर प्रदेश में गंगेश्वरनाथ मंदिर प्रयागराज कैलाशपुरी रोड पर, अमिताभ बच्चन पुलिया के निकट सलोरी में है। निजी वाहन, ई-रिक्शा या स्थानीय ऑटो से शहर के किसी भी हिस्से से आसानी से पहुंच सकते हैं।

भगवान शिव और गंगेश्वर का भावार्थ 

इस मंदिर का नाम गंगेश्वर नाथ है, जिसका अर्थ है “गंगा के अधिपति भगवान शिव।” शिव पुराण बताता है कि भगवान शिव की जटाओं में गंगा बहती है। इसलिए शिव को गंगाधर भी कहा जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां स्थित प्राचीन शिवलिंग चमत्कारों का केंद्र है।

सलोरी शिव मंदिर,  गंगेश्वरनाथ मंदिर प्रयागराज

 गंगेश्वर नाथ मंदिर प्रयागराज के बारें में मंदिर का इतिहास और लोककथा

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में एक बार बहुत सूखा पड़ा था। पानी के लिए लोग तरस रहे थे। तब एक साधु ने कठिन तप करके भगवान शिव से वरदान माँगा कि वह इस क्षेत्र में गंगा बहाना होगा। शिव ने जब से इस क्षेत्र को वरदान दिया, तब से यह “गंगेश्वर” नाम से प्रसिद्ध है।

यह मान्यता बताती है कि गंगाजल की उपलब्धता और इसका महत्व केवल प्राकृतिक नहीं, बल्कि ईश्वरीय कृपा का भी प्रतीक है।

सलोरी शिव मंदिर में पूजा, आरती और विशेष आयोजन का समय 

मंदिर का वातावरण बहुत शांत, आध्यात्मिक और शांत है। स्थानीय लोग सुबह-शाम आरती में भाग लेते हैं। सोमवार शिव को समर्पित है, इसलिए इस दिन बहुत भीड़ होती है। यहाँ महाशिवरात्रि और सावन में विशेष पूजन और आयोजन होते हैं। सावन में कावड़ यात्रा होती है। श्रद्धालु शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करते हैं।

इसे भी पढ़ें – प्रयागराज में मन की कामना पूर्ण करने वाली मनकामेश्वर मंदिर भी है स्थित।   

 गंगेश्वर नाथ मंदिर प्रयागराज की गंगा और अभिषेक परंपरा 

गंगा नदी की निकटता से मंदिर और अधिक पवित्र हो जाता है। भक्त गंगाजल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं, जिससे उनके कष्टों से मुक्ति और मनोकामना पूर्ति का साधन मानते हैं।

 गंगेश्वर नाथ मंदिर प्रयागराज पीपल वृक्ष और शनिदेव की महिमा

सलोरी शिव मंदिर परिसर में  पीपल का वृक्ष स्थित है जो धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पवित्र माना गया है। पीपल के नीचे हनुमान जी और शनिदेव की प्रतिमा स्थापित है। पीपल को देववृक्ष भी कहते हैं। इसकी पूजा से पितृदोष दूर होता है, मन शांत होता है और शनिदेव की कृपा मिलती है। यहाँ लोग पीपल की पूजा करते हैं, जल अर्पित करने के साथ ध्यान भी करते है। 

सलोरी शिव मंदिर

सलोरी शिव मंदिर की भित्तिचित्र कला और दृश्य

गंगेश्वर नाथ मंदिर की दीवारों पर सुंदर पेंटिंग्स और कलाकृतियाँ बनी हैं, जो लोगों के आकर्षक लगता है। यह स्थान आस्था का केंद्र है और प्रयागराज की स्थानीय संस्कृति और धार्मिक रिवाजों का जीवंत उदाहरण है।

निष्कर्ष

गंगेश्वरनाथ मंदिर प्रयागराज सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है; यह स्थानीय संस्कृति, गंगा की शुद्धता और शिवभक्ति का प्रतीक है।  यहां की स्थानीय लोककथा, कावड़ यात्रा और पीपल की सब मिलकर प्रयागराज का एक आध्यात्मिक नगरी  है। यदि आप प्रयागराज आ रहे हैं, तो गंगेश्वर नाथ मंदिर को अपने लिस्ट में शामिल जरूर करें। 
प्रयागराज में स्थित है नागवासुकी मंदिर जो भारत में अद्भुत मंदिरों में से एक है।

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