हाल ही में CSIR-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CDRI) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. रविशंकर को NASI (नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज, इंडिया) के फेलो के रूप में चुना गया है। खास बात यह है कि NASI की स्थापना 1930 में प्रयागराज में हुई थी, जो भारत की सबसे पुरानी विज्ञान अकादमी है।
आर. रविशंकर NASI फेलो चुने जाने की मुख्य जानकारी
आर. रविशंकर वर्तमान में CSIR-CDRI (मुख्य रूप से दवा और बायोमेडिकल शोध पर केंद्रित) में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उन्हें भारत की राष्ट्रीय अकादमी के वैज्ञानिकों (NASI) के फेलो के रूप में चुना गया है, जो एक बहुत प्रतिष्ठित पुरस्कार है जो शीर्ष वैज्ञानिकों को दिया जाता है। यह सम्मान उनके बायोकेमिस्ट्री (Biochemistry) और संरचनात्मक जीवविज्ञान (Structural Biology) के क्षेत्रों में किए गए महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए है।
यह घोषणा इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ समय पहले ही उन्हें INSA (Indian National Science Academy) का फेलो चुना गया था। NASI फेलो बनने की सूचना CSIR-CDRI की ओर से भी पुष्ट की गई है।
NASI: प्रयागराज में स्थापित भारत की पहली विज्ञान अकादमी
1930 में प्रयागराज में नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज, इंडिया (NASI) का गठन हुआ था। भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक मंच बनाने का विचार प्रो. मेघनाद साहा ने शुरू किया था। उनका लक्ष्य था कि भारतीय वैज्ञानिकों को सहयोग और प्रकाशन के लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म दें। NASI की स्थापना से भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास मजबूत हुआ है, जो अभी भी जारी है।
NASI का मुख्य लक्ष्य वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देना और विज्ञान को समाज के लिए लाभकारी बनाना है। आज भी अकादमी वैज्ञानिक सभाएँ, सेमिनार और जर्नल निकालती है। प्रयागराज इसकी विरासत और मिशन का मूल केंद्र है जिससे यह शहर देश के वैज्ञानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है
समापन
CSIR-CDRI के डॉ. R. रविशंकर का NASI फेलो बनना एक प्रेरक कहानी है जो प्रयागराज के गौरव और देश की वैज्ञानिक प्रगति को दर्शाती है। प्रयागराज का शैक्षणिक और वैज्ञानिक महत्व NASI से जुड़ा हुआ है। भारत, डॉ. रविशंकर जैसे वैज्ञानिकों की खोजों से निश्चित रूप से विज्ञान और टेक्नोलॉजी में नए शिखरों पर पहुंचने वाला है।
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