जब एक व्यक्ति मर जाता है, उसका अंतिम संस्कार बहुत भावुक और गरिमापूर्ण होना चाहिए। परंपरागत मुख्यत: दाह (लकड़ी से शवदाह) संसाधनों और पर्यावरण पर प्रभाव डालता है। यही कारण है कि प्रयागराज म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (PMC) ने तीन अतिरिक्त इलेक्ट्रिक शवदाह गृहों को बनाने का फैसला किया है। कन्हाईपुर (धूमनगंज), अरैल (नैनी) और छतनाग (झूंसी) केंद्र बिंदु हैं। प्रयागराज इलेक्ट्रिक शवदाह गृह कदम न केवल शहरी सुविधाओं को बढ़ाएगा, बल्कि अंत्यसंस्कार को भी पर्यावरण के अनुकूल बनाएगा।
प्रयागराज इलेक्ट्रिक शवदाह गृह जानकारी: कौन, कहाँ और कैसे
प्रयागराज में फिलहाल तीन इलेक्ट्रिक शवदाह गृह चल रहे हैं – दारागंज , शंकर घाट (तेलीयरगंज) और फाफामऊ। PMC का लक्ष्य है कि ये नई तीन सुविधाएँ शहर के बाहर आसानी से उपलब्ध हों। प्रस्तावित स्थानों में कन्हाईपुर (धूमनगंज), अरैल (नैनी क्षेत्र) और छतनाग (झूंसी क्षेत्र) शामिल हैं।
PMC के मुख्य अभियंता दीनेश सचान ने कहा कि कन्हाईपुर स्थल की जमीन लगभग तय हो चुकी है और अगले वर्ष निर्माण शुरू होने की संभावना है। कन्हाईपुर परियोजना के लिए लगभग 1,000 वर्ग गज जमीन चिन्हित की गई है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग ₹2.5 करोड़ है। अरैल और छतनाग स्थलों के लिए ज़मीन अभी चुनी जा रही है। PMC का लक्ष्य है कि ये स्थान गंगा के किनारे हों, ताकि पारंपरिक घाटों के आसपास के क्षेत्र भी सेवा क्षेत्र में शामिल हो सकें।
प्रत्येक इकाई एक शवदाह को एक समय में कर सकती है और लगभग 30 मिनट में शवदाह पूरा होगा। इस तरह, एक इकाई दिन में लगभग पंद्रह शवों का अंतिम संस्कार कर सकेगी।
सारांश
प्रयागराज के लोगों को आधुनिक, प्रदूषण रहित और सम्मानजनक अंतिम संस्कार का विकल्प तीन नए इलेक्ट्रिक शवदाह गृहों से मिलेगा। यह कदम पर्यावरण सुरक्षा, सार्वजनिक सुविधाओं और शहर के तेजी से विकास की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।
प्रयागराज में PDA शहरी विस्तार में 200 गांवों को करेगा शामिल।

