जैसा की अभी हाल मे ही खबर आयी थी ममता कुलकर्णी ने ग्रहण कर लिया है। उन्हे किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था। परंतु एक हफ्ते के ही अंदर उन्हे अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। महामंडलेश्वर बनते ही विभिन्न लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आना शुरू हो गई थी। साथ ही किन्नर अखाड़े मे आपसी मतभेद की स्थिति उत्पन्न होने लगी थी। इस अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने अंततः इनको निकालने का निर्णय लिया। साथ ही आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी निष्कासित कार दिया गया है।
ममता कुलकर्णी को निष्कासित करने के कारण –
1. जैसा की ममता कुलकर्णी को सीधे तौर पर अखाड़े मे शामिल किया गया था। वही पर यह विवाद का विषय बन गया। क्योंकि किन्नर अखाड़े के प्रोटोकॉल के अंतर्गत पहले सन्यास ग्रहण करके त्याग का मार्ग अपनाना होता है। जबकि इन्हे सीधे तौर पर महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी गई थी।
2. दूसरा कारण जो निकल के आता है वह इनके प्रोफेशनल जीवन से जुड़ा है। अपने फिल्मी जीवनकाल मे इन्हे अपनी फोटो के कारण किन्नर अखाड़े को आहत किया था।
3. किन्नर अखाड़े के लोग गले मे वैजयंती माल धारण करते है। जबकि सन्यास ग्रहण करते समय इन्होंने रुद्राक्ष पहन रखा था।
4. चौथा कारण इनकी पर्सनल लाइफ से जुड़ा हुआ है। फिल्मों मे ब्रेक लेने के बाद इन्होंने ड्रग डीलर से दुबई मे शादी कर ली। जिस पर देशद्रोह तक का आरोप लग चुका है।
5. किन्नर अखाड़े के लोग सन्यास ग्रहण करने के पश्चात उसे सन्यासी होने के साथ ही मुंडन करना होता है। जबकि ममता कुलकर्णी ने ऐसे किसी रीति-रिवाज को फॉलो नहीं किया था।
क्यों चुना था किन्नर अखाड़ा –
किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनकी 23 साल की तपस्या को माना था। साथ ही उन्होंने परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। और अखाड़े की तरफ से उन्हे निमंत्रण मिला था। ममता कुलकर्णी ने सनातन के प्रचार की बात की थी।