गुरूवार, अप्रैल 24, 2025

प्रयागराज का पुराना नाम: इतिहास के पन्नों से संगम नगरी की कहानी

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प्रयागराज, जिसको पूर्व मे इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। यह शहर भारत के प्राचीनतम और ऐतिहासिक शहरों मे शुमार किया जाता है। इस शहर की पहचान एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप मे ही नहीं बल्कि मनोरम त्रिवेणी संगम, गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम के लिए भी जाना जाता है। इस लेख के अंतर्गत  प्रयागराज के इतिहास के साथ इसके नामकरण, और इलाहाबाद से प्रयागराज बनने की कहानी पर विस्तार से प्रकाश डालेंगे।

प्रयागराज इतिहास: एक पौराणिक यात्रा

 इतिहास के पन्नों मे इसका अस्तित्व प्राचीन समय से दिखाई पड़ता है। इसका पुराना नाम प्रयाग था जिसकी पुष्टि कई पुराणो एवं वेदों मे भी वर्णित मिलता है। जिसका शाब्दिक अर्थ है, ‘प्र’ अर्थात प्रथम ‘याग’ यानि यज्ञ। ऐसा माना जाता है की जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी तो प्रथम यज्ञ तीर्थराज प्रयागराज मे ही किया था। वैसे तो गंगा यमुना और सरस्वती नदियों के मिलन भी इसकी एक वजह भी है प्रयाग कहलाने का। वैसे तीर्थों का राजा होने की वजह से इसे प्रयागराज, आधुनिक नाम पड़ा है।

इतिहासकारों की माना जाए तो यहाँ की प्रारम्भिक बस्तियां आर्यों ने बसाई थी। ऐसा माना जाता है की आर्यों ने ज्ञान का स्तर इतना मजबूत कर लिया था की लोग इन्हे भगवान का भी दर्जा देते थे। क्योंकि इन्होंने पशु-पक्षियों को प्रशिक्षण देके कार्यों मे ऐसा निपुण बना देते थे जिसे सिर्फ भगवान ही कर सकते थे। अपने ज्ञान एवं कौशल से इन्होंने भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलवा दिया था। इनका प्रभाव इतना ज्यादा था की लोग इन्हे आइडलाॉइज़ करते थे एवं इनके जैसा बनना चाहते थे।  

चाहे बात हो युद्ध कौशल की या शास्त्र ज्ञाता की प्रत्येक क्षेत्र मे इनकी प्रवीणता देखने को मिलती है। जिससे प्रयागराज शहर के ऐतिहासिक होने का प्रमाण है। 

प्रयागराज की ऐतिहासिकता

Prayagraj Old Name: इलाहाबाद का उद्भव

प्रयाग का अलाहाबाद नाम 1583 ई. मे मुग़ल सम्राट अकबर ने रखा था। जो कालांतर मे इलाहाबाद से जाना जाने लगा जिसका अर्थ  ‘ईश्वर का स्थान’ है | अकबर ने यहाँ एक किले की भी स्थापना की थी जिसका नाम इलाहाबाद का किला है। अकबर का लक्ष्य इस क्षेत्र को धार्मिक एवं प्रशासनिक साम्राज्य स्थापित करना था।

प्रयागराज का नामकरण: फिर से पुरानी पहचान की ओर –

16 अक्टूबर 2018 को इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रख दिया गया। नाम बदलने के पीछे इसको सांस्कृतिक एवं पौराणिक जड़ों से जुड़ा हुआ दिखाना था। नाम परिवर्तन से इसके धार्मिक एवं ऐतिहासिकता को एक नया आयाम मिल गया जो इसके मूल स्थान से जुड़ा है। 

प्रयागराज नाम बदलनें के पीछे इसके प्राचीन धार्मिक ऐतिहासिक मूल्यों को पुनर्जीवित करना है। जिससे ये स्थान अपने पूर्व गौरव को पुनः प्राप्त कर सके। तथा अपनी धार्मिक एवं सांस्कृतिक छाया को और अधिक मजबूत कर सके। 

इलाहाबाद इतिहास: प्राचीन काल से आधुनिक युग तक –

प्रयागराज का ऐतिहासिक प्रमाण मत्स्य पुराण के अध्याय 102-107 तक मिलता है जिसमें प्रयागराज को प्रजापति का क्षेत्र बताया है, जहां गंगा-यमुना नदियां प्रवाहित होती है। 

 चीनी तीर्थयात्री जब यहाँ के बारे मे सुना तो वह यहाँ 644 ईस्वी मे हवेनसांग हर्षवर्धन के शासनकाल मे कुम्भ मेले की भव्यता को परीक्षण करे आया। यहाँ भ्रमण के दौरान उसने एक कुएं मे नरकंकाल देखा, उसका कारण पता करने पर चल की यहाँ के लोगों की ऐसी आस्था थी की इस कुएं मे कूद कर जो अपने जान दे देगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती थी। इसे कामकूप जलाशय के नाम से जाना जाता था। राजा हर्षवर्धन ने लोगों की इस प्रक्रिया को रोकने का काफी प्रयास किये परंतु मान्यता की वजह से लोग अक्षयवट वृक्ष से कूद कर जान दे दिया करते थे। 

जब अकबर का शासनकाल आया तो उसने एक सन्यासी के कहने पर वहाँ पर पातालपुरी मंदिर का निर्माण करवाया जिससे यहां लोगों के आत्महत्या का क्रम रुक गया। सन्यासी के अनुसार पूर्व जन्म मे अकबर एक हिन्दू व्यक्ति था जिसने गाय के दूध मे बाल को ग्रहण कर गया था जिसकी बदले उसने अक्षयवट वृक्ष से कूदकर अपनी जान दे दी थी। इसी वृक्ष के नीचे पातालपुरी मंदिर का निर्माण हुआ है। 

1857 ई. मे उत्तरी-पश्चिमी प्रांत की राजधानी बनाया गया था। 1866 ई. यहाँ पर हाई कोर्ट की स्थापना की गई है और साथ ही शैक्षिक संस्थानों की स्थापना भी की गई है। यहां बहुत सारे दर्शनीय स्थल भी है। हाई कोर्ट न्यायपालिका के रूप मे जाना जाता था जो की 1869 को हाई कोर्ट का दर्ज दिया गया | इसका एक खंडपीठ लखनऊ मे है।  

निष्कर्ष –

इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा आधुनिक प्रयागराज एक ऐतिहासिक शहर के रूप मे न सिर्फ तीर्थ यात्रा की वजह से ही बल्कि प्राचीन समय में भी विज्ञान और सांस्कृतिक धरोहर के लिए फेमस रहा है। जैसा कि मत्स्य पुराण में इसका वर्णन मिलता है। साथ ही तुलसीदास रचित रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण  में भी मिलता है|

प्रयागराज में धरती है जहां पर भगवान राम ने भी अपने पाप को धोके  मोक्ष की प्राप्ति की।

 बहुत सी नई कॉलेज अस्पताल या जो नई हाइटेक सिटी का निर्माण किया जा रहा है। अभी तो अयोध्या में बने राम मंदिर की प्रतिलिपि भी इलाहाबाद में तैयार किया गया है। जिसका दर्शन हमें 2025 में लगने वाले कुंभ मेले मेंदेखने को मिल जाएगा। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ’S) –

1. प्रयागराज का पुराना नाम क्या था?

प्रयागराज का नाम इलाहाबाद मुग़ल सम्राट अकबर ने 1583 ई. मे रखा था। 

2. प्रयागराज का नाम इलाहाबाद क्यों रखा गया?

इलाहाबाद का शाब्दिक अर्थ “ईश्वर का स्थान” होता है और साथ ही इसे प्रशासनिक एवं धार्मिक केंद्र के रूप मे स्थापित करना चाहता था।  

3. प्रयागराज का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है साथ ही इसका उल्लेख वेदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों मे मिलता है। साथ ही यह त्रिवेणी संगम स्थित है।  

 

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