मंगलवार, अप्रैल 29, 2025

प्रयागराज तीर्थ स्थल: धर्म और आस्था के प्रमुख केंद्र

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प्रयागराज एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक शहर होने अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है ‘प्रयाग’ जो की इसका पुराना नाम था कई पुराणो एवं वेदों में भी मिलता है। जिसका शाब्दिक अर्थ है, ‘प्र’ अर्थात प्रथम ‘याग’ यानि यज्ञ। जिसका तात्पर्य ‘प्रथम यज्ञ’ होता है। ऐसा कहा जाता है की जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना कर ली तो प्रथम यज्ञ यही किया था। वैसे तो गंगा यमुना और सरस्वती नदियों के मिलन की वजह से भी प्रयाग कहा जाता है। खैर तीर्थों का राजा होने की वजह से इसे प्रयागराज आधुनिक नाम पड़ा है | वैसे प्रयाग का ‘अलाहाबाद’ नाम 1584 ई. मे अकबर ने रखा था, जो बाद मे इलाहाबाद बन गया जिसका अर्थ तो ‘ईश्वर का स्थान’ है। 

प्रयागराज तीर्थ एक ऐतिहासिक संस्कृति वाला शहर है जिसमे अनेक पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक स्मारक है जहां यात्री एवं धार्मिक लोग अपनी आत्मीयता के लिए आते है।

prayagraj teerth
A drone shot of Largest congregation of people in Allahabad during Kumbh 2019.

 

त्रिवेणी संगम: आस्था का मुख्य केंद्र

प्रयागराज तीर्थ में लोगों की ऐसी मानता है की संगम मे स्नान करने से आपके सारे पाप कट जाते है, जिससे यहाँ न केवल देश के विभिन्न शहरों के अलावा लोग विदेशों से भी काफी मात्रा मे आते हैं। यहाँ हर साल माघ मेला, तीसरे एवं छठे वर्ष अर्धकुंभ जबकि हर बारहवे साल मे महाकुंभ लगता है | यहाँ मौनी आमवस्या के दिन करोड़ों मे लोग तीर्थ यात्रा करने प्रयागराज संगम आते है उस एक दिन के लिए, दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर बन जाता है। 

गंगा यमुना एवं सरस्वती नदियों का संगम कहा जाने वाला त्रिवेणी संगम दो नदियों के मिलने से बनता है। कुछ लोगों का ऐसा मानना है की सरस्वती नदी का यहाँ कभी अस्तित्व रहा ही नहीं क्योंकि यहाँ ज्ञान का प्रवाह की वजह से सरस्वती नदी को मान लिया जाता है। परंतु कुछ विद्वानों का ऐसा मानना है की यह नदी अब लुप्त हो चुकी है।

प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थल

संगम प्रयागराज में एकमात्र ‘हनुमान जी के लेटी  हुई प्रतिमा’ वाला मंदिर यहीं स्थित है। इसंके बारे में ऐसा माना जाता है की लंका विजय के उपरांत जब वापस आ रहे थे तो हनुमान जी लेटकर यहाँ विश्राम किया था। अंग्रेजों के शासनकाल मे ऐसा कहा जाता है, जब अंग्रेज अधिकारियों ने मूर्ति को खोदकर निकलवाने की कोशिश की तो ये और भी धँसती चली गई जिससे ऐसा माना जाता है की मंदिर गड्ढे मे है। 

मनकामेश्वर मंदिर, ऐसा माना जाता है की भगवान शिव ने यहाँ स्वयं शिवलिंग की स्थापना की थी एवं यहाँ दर्शन कर लेने से मन की इच्छा पूरी हो जाती है | यहाँ ‘रण मुक्तस्वर शिवलिंग’ है “ऋणों से मुक्ति दिलानेवाला भगवान” माना जाता है |

नागवासुकी मंदिर, यह मंदिर दारागंज मे स्थित है, यहाँ नागराज, गणेश पार्वती तथा भीष्म पितामह की मूर्ति है। यहाँ नागपंचमी के दिन मेले के आयोजन किया जाता है। 

इसके अलावा सोमनाथ मंदिर, चक्रमाधव मंदिर, वालाभचार्य की बैठक, बाबा फलाहरी की मंदिर, सच्चा बाबा आश्रम के अलावा कई भव्य मंदिर एवं स्थल देखने को मिल जाते हैं। 

यहाँ स्थित त्रिवेणी संगम जहां चीख चीख के प्रयागराज तीर्थ के ऐतिहासिक एवं धार्मिक होने का प्रमाण देता है वहीं यहाँ स्थित अक्षयवट वृक्ष इस पर मुहर लगाता है। 

  भारद्वाजपार्क जो कि यहां रहने वाले मुनि भारद्वाज के नाम पर ही रखा गया है। वहां पास मे एक मंदिर है वहां भी आप भ्रमण करें, वहां पर आपको कई  मूर्तियां देखने को मिलेंगे जैसे राम, लक्ष्मण ,गणेश-पार्वती भीष्म पितामह की भी मूर्ति है |

श्रीराम भगवान यहाँ स्थित भारद्वाज मुनि से जब ब्रह्मवध(रावण का वध) का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा की हाथ मे जितनी बालू आए उसको लेकर शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करो जिससे मुक्ति मिल जाएगी। ये शिवलिंग शिवकूटी मे ही स्थित है। शिवकूटी को पवित्र तीर्थ मे शामिल किया जाता है। ऐसा माना जाता है की यहाँ दर्शन न करने से प्रयागराज आने का कोई फल नहीं मिलता। श्रावण मास मे आज भी लोग यहाँ दर्शन कर अपने किए गए पाप से मुक्ति पाने जाते है। 

पौराणिक कथाएँ और ऐतिहासिक महत्व

प्रयागराज तीर्थ का प्रमाण मत्स्य पुराण के अध्याय 102-107 तक मिलता है जिसमें प्रयागराज को प्रजापति का क्षेत्र बताया है जहां गंगा-यमुना बहती है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण मे राम के वन जाते समय श्रृंगवेरपुर पहुचे तो प्रयागराज का जिक्र आया है जो ऋषि भारद्वाज के आश्रम से होते हुए गए थे। रामचरितमानस मे तुलसीदास ने भी प्रयागराज का उल्लेख किया है। 

प्रयागराज का मौर्य काल मे जहां अशोक ने धर्मनिरपेक्ष की नीति अपनाकर शांति और सौहार्द का संदेश दिया था। जैन एवं बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा था जिसका प्रमाण उत्खनन मे मिली गौतम बुद्ध की मूर्तियाँ हैं। वही गुप्त काल मे व्यापारिक दृष्टि काफी महत्वपूर्ण है। 

1526 ई. मे जब मुग़लों ने आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया तभी से इलाहाबाद भी इनके अधीन आ गया था। सन् 1575 ई मे जब अकबर यहां घूमने आया तो यहाँ की स्थिति देख कर मंत्रमुग्ध हो गया एवं 1583 मे इसका नाम अल्लाहाबाद रख दिया। यहाँ इसके द्वारा इलाहाबाद का किला तथा खुसरोबाग़ बहुत प्रसिद्ध है जिसे इसके ही राजवंश के शासक द्वारा बनवाया गया। 

ब्रिटिश काल मे आधुनिक इलाहाबाद को बहुत चीजों को बनवाया है जिसमे पुराना यमुना का पूल गंगा पूल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, आल सैनट्स कैथेड्रल चर्च जो की 1871 मे वास्तुविद इमर्सन ने नक्सा बनाया था। 1866 मे उच्च न्यायालय की स्थापना भी अंग्रेजों ने किया था।  

प्रयागराज का धार्मिक पर्यटन

चलिए आपको प्रयागराज तीर्थ कुछ ऐसे स्थान बताते हैं जहां आप यहां आए तो एक बार जरुर विजिट करें- 

 जब भी आप इलाहाबाद या यूं कहीं कहें की प्रयागराज आए तो यहां त्रिवेणी संगम पर एक बार स्नान जरूर करें उसके पश्चात यहीं पर इलाहाबाद किला उसका भ्रमण करें उसी जगह पर आपको सरस्वतीकूप और पातालकूप मंदिर भी मिल जाएगा जिसमे 44 भगवान की मूर्तिया देख सकते हैं। 

प्रयागराज के लूकरगंज में स्थित खुसरो बाग का किला जरूर घूमिए। आपको  वहां मुगल वास्तुकला की एक अच्छी झलक देखने को मिलेगी जिसमें बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है यहां पर शाह बेगम, खुसरो मिर्ज़ा  तथा निथार बेगम को श्रद्धांजलि देते हुए कुछ मकबरे है। यहां पर आपको अमरूद के बाग  भी मिल जाएंगे जो की बहुत ही प्रसिद्ध है और  इसको यहां से  निर्यात भी किया जाता है। 

कर्नलगंज में स्थित आनंद भवन का एक बार आप भ्रमण  जरूर करिए, यहां पर चाचा नेहरू की बचपन से लेकर युवावस्था तक की काफी सारी चीज रखी  गई है तथा यहीं पर अगर आए हैं तो जवाहर तारामंडल जरूर देखिएगा जो 1979 में निर्मित किया गया था। तथा यहां जवाहर मेमोरियल लेक्चर का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है यहां पर सौरमंडल और अंतरिक्ष से जुड़े शो  दिखाए जाते हैं। 

इसी के पास स्थित है भारद्वाजपार्क उसका भी पर्यटन कर सकते है। 

इसके बाद आप सिविल लाइंस की ओर चलेंगे तो यहां पर हमें हनुमान निकेतन जो की हनुमान जी की मंदिर है। तथा इसके आगे आल सेंटस  कैथेड्रल चर्च एमजी मार्ग पर ही दिखाई देगा जो कि बहुत ही भव्य चर्च है। सिविल लाइंस में ही आपको आजाद पार्क देखने मिल जाएगा। जहां चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मार ली थी तथा यहीं विक्टोरिया स्मारक देखने को  मिल जाएगा, आपको यहां की मूर्ति नहीं देखने को मिलेगी अभी इस समय हटा ली गई है। 

 उसके साथ ही आपके यहां इलाहाबाद संग्रहालय मिल जाएगा जिसके द्वार पर ही पिस्टल रखी गई है। जिससे चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मार ली थी। इसी के अंदर आपको प्रयाग संगीत समिति, मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में भी मिल जाएगा। 

 यहीं आपको एक लाइब्रेरी मिल जाएगी जो की उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ा पुस्तकालय है जिसमें 125000 पुस्तक संग्रहित हैं। 

इसके साथ ही साथ आप अरैल घाट, सरस्वती घाट, शिवकुटी, मनकामेश्वर मंदिर नाग वासुकी मंदिर जो की दारागंज में है बहुत सी ऐसी चीज हैं जिसका दर्शन किया जा सकता है। 

वैसे यहां यात्रा का समय तो कभी भी किया जा सकता है पर अगर अक्टूबर से फरवरी के बीच आया जाए तो यह सबसे बेहतरीन माना जाता है। 

निष्कर्ष

इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा आधुनिक प्रयागराज एक ऐतिहासिक शहर के रूप मे न सिर्फ तीर्थ यात्रा की वजह से ही बल्कि प्राचीन समय में भी विज्ञान और सांस्कृतिक धरोहर के लिए फेमस रहा है, जैसा कि मत्स्य पुराण में इसका वर्णन मिलता है तथा तुलसीदास रचित रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है। 

प्रयागराज तीर्थ ऐसी धरती है जहां भगवान राम ने भी अपने पाप को धोके मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं पर आज के जमाने मे जहां स्वतंत्रता संग्राम मे अनेक क्रांतिकारियों ने अपने प्राण की आहुति दी है। वहीं भारतीय हॉकी के स्वर्णिम युग के हॉकी के जादूगर से मशहूर मेजर ध्यानचंद का नाम आता है। 

FAQ’s  
1. अक्षयवट का क्या महत्व है?

ऐसा माना जाता है की यह वृक्ष अमर एवं पवित्र है। इसकी पूजा करे से सुख, समृद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से काफी विशेष है। 

2. त्रिवेणी संगम का धार्मिक महत्व क्या है?

त्रिवेणी संगम उस स्थान को कहा जाता है जहां गंगा, यमुना एवं सरस्वती नदीओ का मिलन होता है। ऐसा माना जाता है की यह स्नान करने से आपके सारे पाप धूल जाते है एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।

3. प्रयागराज में कौन-कौन से प्रमुख धार्मिक स्थल हैं?

प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं:

  • त्रिवेणी संगम
  • लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर
  • अक्षयवट
  • भारद्वाज आश्रम
  • आलोपि देवी मंदिर

4. प्रयागराज में धार्मिक पर्यटन का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

अक्टूबर से मार्च के बीच यहां यात्रा करना सबसे अच्छा माना जाता है उसी वक्त यह कुम्भ मेला एवं अन्य धार्मिक आयोजन कीए जाते है।  

5. प्रयागराज के लिए निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन कौन सा है?

आपको निकटतम हवाई अड्डा बमरौली हवाई अड्डा एवं स्टेशन प्रयागराज जंक्शन स्टेशन मिल जाएगा जो देश के विभिन्न हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा है। 

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