मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। राजभवन मे राज्यपाल को बिरेन सिंह ने अपना इस्तीफा सौंपा। जिसे राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने स्वीकार कर लिया और दूसरा विकल्प मिलने तक पद पर बने रहने की मांग की। मुख्यमंत्री के नए चेहरे के लिए अभी किसी पर भी सहमति होने पर टाइम लग सकता है। जिसकी वजह से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा की राष्ट्रपति शासन लग सकता है। राज्यपाल कुछ दिन में केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे अगर सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री नहीं चुना गया तो राष्ट्रपति शासन ही एक विकल्प रह जाएगा।

कुकी एवं मैती समुदाय के राष्ट्रपति शासन पर विचार –
वहीं कुकी जो समुदाय के अध्यक्ष हेनलियानथाँग थाँगली ने राष्ट्रपति शासन को ही उपयुक्त माना है। इन्होंने कहा संगठन के किसी भी और नेता से उन्हे कोई उम्मीद नहीं है। अगर राष्ट्रपति शासन लग जाए तो आधीक आशावान रहेंगे। साथ ही उन्होंने नए मुख्यमंत्री के चुनाव को ‘नई बोतल में पुरानी शराब’ की तुलना की।
वहीं दूसरी ओर मैती समुदाय के नेता जितेंद्र निगोम्बा ने कहा की राष्ट्रपति शासन को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मणिपुर के लोगों ने राष्ट्रपति शासन के तहत लंबे समय तक कष्ट झेले हैं और इसके खिलाफ संघर्ष किया है। यह नागरिकों को स्वीकार्य नहीं है। लेकिन अगर कोई नया मुख्यमंत्री आता है, तो हमारे समुदाय में और अधिक विभाजन होगा जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें एकता और अखंडता की आवश्यकता है।”
कुकी एवं मैती समाज का संघर्ष की शुरुआत –
कुकी एवं मैती समाज के मध्य संघर्ष की बात की जाय तो यह हाईकोर्ट में मैटी समुदाय के एससी दर्जे पर विचार करने की निर्देश से शुरू हुआ था। लगभग दो साल पहले अप्रैल 2023 में यह आदेश हाईकोर्ट का आया था। उसके बाद स्थानीय आदिवासी नेताओं ने सरकार के खिलाफ पूर्ण बंद का ऐलान कर दिया। इसके बाद जो घटना ने इसे पूरे भारत मे चर्चित किया वह दो महिलाओं को नग्न अवस्था मे घुमाया जाना था तथा उसमे से एक का सामूहिक बलात्कार भी किया गया। इससे पहले मई 2023 मे गृह मंत्री अमित शाह ने दौरा कर मामले को शांत कराने की असफल कोशिस किया था। अभी भी कुकी-मैती संघर्ष का ही नतीजा है जिससे बिरेन सिंह को इस्तीफा सेना पड़ा है।
अब तक इस संघर्ष मे 250 लोगों की जान जा चुकी है वही 75,000 लोग विषतापित हो चुके है।