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सोमवार, नवम्बर 10, 2025

प्रयागराज की ई-बाइक सेवा: कम किराया, आसान शर्तें, फिर भी क्यों नहीं मिली लोकप्रियता?

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प्रयागराज में ई-बाइक सेवा अपेक्षित रूप से सफल नहीं हो रही है, जबकि देश के बड़े शहरों में सार्वजनिक बाइक या ई-बाइक शेयरिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है। नए इलेक्ट्रिक उपकरणों, आसान रजिस्ट्रेशन और कम किराया के बावजूद शहरवासी इस सेवा से दूर हैं।

सेवा की प्रमुख बातें व शर्तें

  • ई-बाइक, जो पहले स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शुरू हुआ था, अब इसके केंद्र में है।
  • शहर में 65 स्थान सार्वजनिक बाइक शेयरिंग स्टेशनों पर 5-5 इलेक्ट्रिक बाइक उपलब्ध हैं।
  • कुल 820 साइकिल सेवा में उपलब्ध हैं। 
  • रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया: उपयोगकर्ता को खाता सक्रिय करने हेतु ₹300 जमा करना होगा (यह जमा आजीवन मान्य है)। 
  • किराया इस तरह निर्धारित है: पहले 30 मिनट: मुफ़्त इसके बाद 60 मिनट: ₹5,120 मिनट: ₹10, 3 घंटे: ₹25, 3-4 घंटे: ₹50, 4-6 घंटे: ₹100 और 6-8 घंटे: ₹200 है। 
  • बाइक ऐप से QR कोड स्कैन करना; पंजीकरण ₹500 है।
  • एक बार चार्ज पर 40 किमी तक चल सकते हैं।

लेकिन आकर्षक क्यों नहीं?

  • शुरूआत में छात्रों और शहरवासियों में उत्साह था, लेकिन अब अधिकांश प्वाइंट पर साइकिलें धूल खा रही हैं।
  • कुछ परिस्थितियों में दिन में सिर्फ 500 से 600 राइड्स दर्ज होते हैं, जबकि प्वाइंट 65 हैं।
  • ग्राहकों को लॉक खोलने या मोबाइल ऐप के QR स्कैन करने में परेशानी हो रही है।
  • कुछ स्थानों पर सामने अवैध रूप से दुकानें या गुमटियाँ लगने से साइकिल खड़ी-उठी नहीं जा सकती।
  • आम नागरिकों ने बताया कि बाइक स्टेशनों की लोकेशन शहर के व्यस्त रिहायशी या व्यावसायिक इलाकों में नहीं, बल्कि मुख्यतः संस्थानों या सरकारी दफ्तरों के पास है।

सामाजिक और पर्यावरणीय असर

अगर सेवा बेहतर ढंग से काम करती, तो शहर में ध्वनि और वायु प्रदूषण कम हो सकता था और ट्रैफिक जाम कम हो सकता था। शहरों में साइकिल साझा सेवा ने आम तौर पर स्वास्थ्य-सक्रियता को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसके लाभ सीमित होते हैं अगर इसका उपयोग कम होता है। यदि निवेश और संसाधन का उपयोग अपेक्षित लाभ नहीं दे रहा है, तो ऐसी परियोजनाओं पर जनता का विश्वास भविष्य में कमजोर हो सकता है।

आगे की राह क्या?

प्रयागराज ई-बाइक सेवाओं की असफलता से स्पष्ट है कि केवल तकनीकी सुधारों और किराया कम होने से कोई योजना नहीं बन सकती।  मैनटेनेंस, पहुँच और नागरिकों के व्यवहार संबंधी चुनौतियों पर भी काम करना आवश्यक है। यह पहल फिर से सफल हो सकता है अगर प्रशासन प्लेटफॉर्म, लोकेशन और ऑन-ग्राउंड प्रमोशन को बढ़ाता है।

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