गर्मी हो या लू – चाय तो ज़रूरी है!
प्रयागराज दो चीजों के लिए अच्छे से जाना जाता है – एक है यहाँ की विश्व प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम और दूसरा चाय की दुकानों पर लोगों के लगती भीड़। तापमान भले ही 40 डिग्री पहुंच जाए पर चाय मजाल है जो कोई उससे दूर रख पाए। सुबह आँख खुलते ही अगर किसी चीज की तलब होती है तो वह चाय, गर्मी हो सर्दी या बरसात हर मौसम की जान है चाय।
जब हर कोई गरमी से बहाल होकर नींबू-पानी या मट्ठे की ओर अपनी रुचि दिखाते है उस समय भी प्रयागराज में नुक्कड़ पर चाय की दुकानों पर सुबह-शाम में भीड़ देखी जा सकती है। और यहां के कुल्हड़ में सोंधी खुशबू के साथ चाय का तो अपना अलग ही मजा है। चाहे यूनिवर्सिटी रोड हो या सिविल लाइंस या संगम का हो किनारा हर कोने पर आपकी चाय की दुकानों और वहां पर कई गंभीर मुद्दों के साथ हसीं-ठिठोली करते लोग आसानी से दिखाई दे जाएंगे।
बाहर से आने वालों लोगों के लिए यह एक हैरानी की बात हों सकती है की इतनी भयंकर गर्मी में चाय पर इतनी दीवानगी। यहां के लोगों के चाय ना पीना एक अधूरापन-सा लगता है। कुछ लोग तो गर्मी में चाय पी कर अपनी गर्मी निकालने की बात करते हैं।
मुझे याद है जब में यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहा करता था तो कुछ लोग तो दोपहर में जब सो कर उठते थे तो चाय खोज करते थे की चाय पीकर फिर पढ़ाई करेंगे। और रही बात शाम की तो पूरी टोली निकलती थी। जिसे देखो चाय के ठेले के सामने खड़े होकर चुसकियाँ लेता दिखाई दे जाता था।
प्रयागराज में चाय एक पेय नहीं बल्कि संस्कारों में है –
यहां के लोगों में चाय एक पेय पदार्थ ना होकर बल्कि एक रिवाज और संस्कार के तौर पर देखा जाता है। आगे आप किसी के यहां गए है तो वो आप से पूछ ही लेगा चाय बनवाया जाय? दोस्ती की शुरुआत हो या मोहब्बत का इजहार दिन की थकान हो, बस एक कप चाय आपको फिर से तारों-ताजा करने को है तैयार।
प्रयागराज के लोगों के लिए चाय किसी के बचपन की याद है तो किसी के लिए दोस्तों और साथियों की याद इसलिए यहाँ चाय चाय ना होंकर लोगों के लिए एक ईमोशन है।
तो अगली बार आप भी जब प्रयागराज आइएगा तो एक कप चाय का चुस्की लेकर इसका आनद जरूर उठाइएगा, हो सकता है प्रयागराज की कुल्हड़ वाली चाय के प्यार में आप भी पड़ जाएं।

