इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में SC/ST एक्ट का दुरुपयोग मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। SC/ST एक्ट के तहत न्याय पाने वाले लोगों के हितों की सुरक्षा के लिए कोर्ट ने दुरुपयोग पर कड़ा फैसला सुनाया है। मामले में चार लाख रुपये मुआवजा पाने वाली महिलाओं को उस रकम को वापस करने और पांच लाख रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की कार्रवाई SC/ST एक्ट का दुरुपयोग मामला
Allahabad High Court के प्रमुख न्यायाधीश शेखर कुमार यादव की अदालत ने SC/ST Act के एक मामले में गंभीर दुरुपयोग का पुख्ता सबूत पाया है। प्रयागराज का यह मामला है, जहां एक दलित महिला और उनकी दो बहूओं ने राज्य सरकार से 4.5 लाख रुपये का मुआवजा लिया था।
लेकिन कोर्ट को पता चला कि पीड़िता ने FIR दर्ज करने से इंकार कर दिया, हालांकि उसने सेक्शन 164 CrPC के तहत बयान दिए थे और मुआवजे का लाभ भी लिया था। ऐसे व्यवहार को अदालत ने ‘कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग’ और ‘राज्य के सार्वजनिक धन की धोखाधड़ी’ बताया।
19 आरोपियों की ओर से SC/ST अधिनियम की धारा 14-A(1) के तहत दायर आपील को न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की बेंच ने निराधार पाने पर खारिज कर दिया। कोर्ट ने 19 आरोपियों को शामिल करते हुए आदेश दिया कि राज्य सरकार को तुरंत साढ़े चार लाख रुपये की मुआवजा वापस किया जाए। साथ ही, कोर्ट ने इन आरोपियों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो उच्च न्यायालय की सुरक्षा कोष में जमा किया जाएगा। यदि यह धन नहीं मिलता, तो वसूली की कार्रवाई शुरू होगी।
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मामला और कानूनी प्रक्रियाएँ
SC/ST अधिनियम अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को उनके अधिकारों से बचाने के लिए बनाया गया है। समाज के कमजोर वर्ग को बचाने के लिए यह कानून बहुत महत्वपूर्ण है।
लेकिन इस तरह की घटनाओं से स्पष्ट होता है कि कुछ परिस्थितियों में भी इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है, जो व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। कोर्ट के निर्णय ने स्पष्ट किया कि न्याय का गलत इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस आदेश से न केवल प्रयागराज में बल्कि पूरे देश में SC/ST कानून के दुरुपयोग की घटनाओं को चेतावनी दी जा रही है।
सारांश
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीशों ने SC/ST कानून का दुरुपयोग गंभीर अपराध माना है और आरोपियों पर भारी जुर्माना लगाकर पीड़ितों को मुआवजा वापसी का आदेश दिया है। यह आदेश कानून व्यवस्था को मजबूत करने और न्याय का सही इस्तेमाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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